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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2639
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

अध्याय - 13
विद्यापति

(व्याख्या भाग)

(1)  राधा की वंदना

देख देख राधा रूप अपार।
अपुरूष के बिहि आनि मिलाओल
खिटि तल लावनि-सार ॥ 2 ॥
अंगहि-अंग अर्नंग मुरछावत
हेरय पड़ए अधीर।
मनमय कोटि-मंथन करू ने जन
से हेरि गहि-मधि गीर ॥ 4 ॥
फट कट लखिमी चरन-टल नेओछए
रंगिनि हेरि बिभोरि।
करू अभिलाख मनहि पदपंकज
अहोनिसि कोर अगोरि ॥ 6 ॥

सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ आचार्य राम लोचन शरण द्वारा सम्पादित मैथिली कवि विद्यापति की पदावली' में संकलित वंदना खण्ड के अन्तर्गत राधा की वंदना से उद्धृत हैं।

प्रसंग - इस पद्य में कवि विद्यापति ने राधा के अनुपम सौंदर्य का चित्रण किया है।

व्याख्या - कवि राधा के अनुपम सौन्दर्य की ओर संकेत करके कहते हैं देखो, देखो। राधा के अनुपम सौंदर्य की ओर देखो। राधा के सौन्दर्य को देखकर लगता है मानो विधाता ने इस पृथ्वी पर विद्यमान सारे सौन्दर्य तत्वों को लेकर अथवा एकत्र करके मिला दिया है। कहने का यह भाव है, कि राधा का इतना सुंदर रूप है, कि मानों उसके सौन्दर्य में इस पृथ्वी पर मिलने वाले सारे सौन्दर्य तत्वों का समावेश हो गया है। उसके शारीरिक सौन्दर्य अथवा उसके एक-एक अंग के सौन्दर्य को देखकर कामदेव भी अधीर होकर मूर्छित हो जाता है। कहने का भाव यह है कि राधा के अनुपम सौन्दर्य को देखकर सौन्दर्य का देवता कामदेव भी व्याकुल हो उठता है। भले ही श्री कृष्ण अपनी सुन्दरता से करोड़ों कामदेव को लज्जित करने में सक्षम हैं, परन्तु वे भी राधा के अनुपम सौन्दर्य को देखकर पृथ्वी पर गिर पड़ते हैं। कहने का भाव यह है, कि राधा का सौन्दर्य अतिसुंदर कृष्ण को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। कवि कहता है, कि राधा की सुन्दरता को देखकर कितनी ही लक्ष्मियाँ अपने आपको उसके चरणों में न्यौछावर कर देती है और न जाने कितनी ही सुंदरियाँ राधा के सौंदर्य को मुग्ध होकर देखती रहती हैं। वे सुंदर नारियाँ अपने मन में अभिलाषा करती हैं, कि वे राधा के चरण-कमल को अपनी गोद में रखकर उसकी रखवाली करें। कहने का भाव यह है, कि राधा का सौन्दर्य न केवल पुरुषों को बल्कि सुंदर युवतियों के हृदयों को भी अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम है।

विशेष-
(i) इस छंद में कवि ने राधा के सौंदर्य का चित्रण अपनी कल्पना के बल पर किया है।
(ii) अंग-अनंग में रूपक अलंकार है।
(iii) पूरे पद में श्रृंगार रस है।
(iv) अभिधा और व्यंजना शब्द शक्ति हैं।
(v) मधु मैथिली भाषा का प्रयोग हुआ है।

(2) श्री कृष्ण प्रेम (35)

जहाँ जहाँ पग-जुग धरई। तहिं तहिं सरोरूह झरई ॥ 2 ॥
जहाँ जहाँ झलकत अंग। तहिं तहिं बिजुरि तरंग ॥ 4 ॥
कि हेरल अपरूब गोरि। पइठल हिय मधि मोरि ॥ 6 ॥
जहाँ जहाँ नयन बिकास।
तहिं तहिं कमल प्रकाश ॥ 8 ॥
जहाँ लहु हास सँचार। तहिं तहिं अमिय बिकार ॥ 10 ॥
जहाँ जहाँ कुटिल कताख। तर्हि तर्हि मदन- सर लाख।। 12।।
हेरइत से धनि थोर। अब तिन भुवन अगोर।। 14 ॥
पुनु किए दरजन पाव। अब मोहे इत दुःख जाब। 16 ॥
विद्यापति कह जानि। तुम गुन देहब आनि। 18 ॥

सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ आचार्य राम शिरोमणि शरण द्वारा सम्पादित मैथिली कवि 'विद्यापति की पदावली' में संकलित प्रेम प्रसंग खंड के प्रथम भाग श्री कृष्ण प्रेम से उद्धृत हैं।

प्रसंग - इस पद में कवि विद्यापति ने नायक-नायिका अर्थात् श्रीकृष्ण व राधा के प्रेम का चित्रण किया है। अवतरित पद में नायक श्रीकृष्ण नायिका की सखी अथवा अपने सखा के समक्ष उस दृश्य का वर्णन करते हुए अपने मनोभावों को दर्शाते हैं जब उसने नायिका राधा के अनुपम सौंदर्य के दर्शन किये। श्री कृष्ण राधा के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं, कि -

व्याख्या - वह जहाँ-जहाँ पर अपने दोनों चरण रखती है, वहाँ-वहाँ पर कमल झड़ते हैं। वस्त्रादि के मध्य में जहाँ-जहाँ से उसके अंग दिखाई देते हैं वहाँ-वहाँ से बिजली की चमक सी कौंध जाती है। मैंने उस अद्वितीय सौंदर्य वाली रमणी को क्या देखा, वह तो मेरे हृदय में प्रवेश कर गयी अर्थात मेरे हृदय में उसकी छवि अंकित हो गई। उसके नेत्रों की ज्योति जहाँ-जहाँ पर जाती है। अर्थात् वह जहाँ-जहाँ देखती है वहाँ-वहाँ पर कमल का प्रकाश फैल जाता है जहाँ भी वह मुस्कुराने लगती है वहीं पर अमृत का संचार होने लगता है। वह जहाँ-जहाँ पर अपने वक्र नेत्रों से कटाक्ष करती है, वहाँ-वहाँ पर कामदेव के लाखों बाण चल जाते हैं। यद्यपि मैंने उस सुंदरी को थोड़े समय के लिए देखा था, परन्तु अब तो वह मुझे तीनों लोकों में व्याप्त दिखाई देती है। अब तो केवल पुण्य कर्मों से ही उसके दोबारा दर्शन हो सकते हैं और उसके दर्शन होने के पश्चात ही मेरा यह दुःख जाएगा अर्थात नष्ट होगा। कवि विद्यापति कहते हैं कि हे श्रीकृष्ण ! मैं जानता हूँ कि तुम्हारे गुण ही उसे तुम्हारे पास लाकर देंगे। कहने का भाव यह है, कि वह श्रीकृष्ण के गुणों से प्रभावित होकर स्वयं उनके पास चली आएंगी।

विशेष- (i) कवि ने राधा सौंदर्य जनित श्री कृष्ण के प्रेम का चित्रण किया है।
(ii) पूरे पद में गेयात्मकता एवं संगीतात्मकता है।
(iii) माधुर्य गुण का प्रयोग सफल है।
(iv) सम्पूर्ण पद में अत्युक्ति अलंकार है।
(v) तत्सम पदावली की प्रधानता है।

(3) राधा प्रेम (36)

ए सिख पेखलि एक अपरूप।
सुनइत मानबि सपन- सरूप ॥ 2 ॥
कमल जुगल पर चाँद की माला।
तापर उपजल तरूंन तमाला ॥ 4 ॥
तापर बेढ़लि बिजुरी - लता।
कालिंदी तट धीरे चलि जाता ॥ 6 ॥
साखा - सिखर सुधाकर पाँति।
ताहिं नव पल्लव अरूनक भाँति ॥ 8 ॥
बिमल बिम्बफल जुगल बिकास।
तापर कीर थीर करू बास ॥ 10 ॥
तापर चंचल खंजन- जोर।
तापर सॉंपिनि झाँपल मोर ॥ 12 ॥
ए सखि - रंगिनि कहल निसान।
हेरइत पुनि मोर हरल गिआन ॥ 14 ॥
कवि विद्यापति एह रस भान।
सुपुरूढा मरम तुहू भल जान।। 16।।

सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्य आचार्य रामशिरोमणि शरण द्वारा सम्पादित मैथिली कवि 'विद्यापति की पदावली' में संकलित प्रेम प्रसंग खंड के द्वितीय भाग राधा प्रेम से उधृत है।

प्रसंग - कवि विद्यापति ने नायक-नायिका अर्थात् श्री कृष्ण व राधा के प्रेम का चित्रण किया है। राधा अपनी सखी के सामने श्री कृष्ण के अपार सौंदर्य का वर्णन करती हुई कहती हैं।

व्याख्या - हे सखी! आज मैंने अद्वितीय सौंदर्य को देखा। यदि तुम सुनोगी तो कहोगी कि यह तो तुम्हारा स्वप्न में देखा हुआ रूप है। कहने का भाव यह है कि ऐसे अद्वितीय सौंदर्य पर तुम विश्वास नहीं करोगी। मैंने दो कमलों के ऊपर चन्द्रमाओं की माला देखी अर्थात् श्री कृष्ण के दोनों चरण कमल के समान दिखाई दे रहे थे और उनके पैरों के नाखून चन्द्रमा के समान दिखाई दे रहे थे। उनके ऊपर एक सुंदर नया अथवा तरूण वृक्ष उगा हुआ था। भाव यह है कि श्री कृष्ण का तरूण शरीरं किसी तरूण वृक्ष के समान पुष्ट था। उस तरूण वृक्ष पर बिजली की बेल लिपटी हुई थी अर्थात् उनके शरीर पर लिपटा हुआ पीताम्बर बिजली के समान चमक रहा था। वह तरूण तमाल अर्थात् श्री कृष्ण यमुना नदी के किनारे धीरे-धीरे चला जा रहा था। उस तरूण वृक्ष की शाखाओं के शिखर पर चन्द्रमाओं की पंक्ति थी अर्थात् श्री कृष्ण के हाथों की अंगुलियों के नाखून चन्द्रमा के समान सुन्दर थे। उस वृक्ष पर नये-नये पत्ते लालिमा से युक्त थे अर्थात् श्री कृष्ण की हथेलियाँ कोमल व लालिमा युक्त थीं। उस वृक्ष पर दो विकसित बिम्बफल दिखाई दे रहे थे। अर्थात् श्री कृष्ण के होंठ बिम्बफल के समान लाल व सुंदर थे।

उस वृक्ष पर एक तोते ने निवास कर रखा था अर्थात् श्री कृष्ण की नाक तोते के समान सुंदर थी। उसके ऊपर खंजन पक्षियों का एक जोड़ा था अर्थात् श्री कृष्ण के नेत्र खंजन पक्षियों के समान सुंदर और चंचल थे। उसके ऊपर मोर ने काली नागिन को दबा रखा था। अर्थात् श्री कृष्ण ने अपने सिर पर मोर मुकुट लगा रखा था जिसमें उनके काले केश दबे हुए थे। हे सखी! अब मैंने तुम्हारे समक्ष उसके सभी- लक्षण बता दिए हैं जिसने अपने सुंदर रूप से मेरे ज्ञान अथवा सुध-बुध को हर लिया है। कवि विद्यापति कहते हैं, कि तुम अर्थात् राधा उस सुंदर पुरुष के मर्म को भली-भाँति जानती हो।

विशेष-
(i) कवि ने नायिका के मुख से नायक के सौंदर्य का गूढरीति से वर्णन करवाया है।
(ii) कोमल कांट पदावली है।
(iii) पूर्ण पद में रूपातिश्योक्ति अलंकार है।
(iv) श्रृंगार रस से परिपूर्ण है।
(v) अभिधा व लक्षणा शक्ति का प्रयोग है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
  3. प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  4. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  5. प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
  6. प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  7. प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
  10. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  13. प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
  14. प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  15. प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
  18. प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  24. प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  25. प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
  26. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  28. प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  29. प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
  30. प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  33. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  35. प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
  36. प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
  38. प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
  41. प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  43. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  44. प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
  45. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
  48. प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  49. अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
  50. प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  51. प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  53. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  54. प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  55. प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
  56. अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
  57. प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
  58. प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
  59. अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
  60. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  63. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  65. अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
  66. प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  68. प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
  69. प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
  71. प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
  72. अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
  73. प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
  76. प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  77. प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
  81. प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
  82. अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
  83. प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  89. अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  93. प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  94. अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
  95. प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
  96. प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
  97. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
  98. प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
  99. अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
  100. प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
  104. प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
  105. अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
  106. प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  107. प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
  109. प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
  111. अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  112. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  113. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  114. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  115. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
  116. अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
  117. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
  118. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
  119. अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
  120. प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
  121. प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  122. अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
  123. प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
  124. प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
  125. प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
  126. प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
  127. प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
  128. अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  129. प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
  130. प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
  131. प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
  132. प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
  133. प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
  134. अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
  135. प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
  136. प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
  137. प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
  138. अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  140. प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  141. अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
  142. प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
  143. प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  144. प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
  145. अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
  146. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  147. प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
  148. प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
  149. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  150. प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
  151. अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
  152. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  153. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
  154. अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
  155. प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
  157. प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

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